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हास्य कविता: विनती सुन लो ससुर जी अपनी राजदुलारी

हास्य कविता: विनती सुन लो ससुर जी

अपनी राजदुलारी को कुछ दिन बुला लो पापा जी,
जीना  मुश्किल  हो  गया  मेरा  अब  तो  पापा जी|

सुबह-सुबह हो  जाए  शुरू  इसका  भजन कीर्तन,
चाय तो बना लूँ मैं पर कैसे आटा लगाउँ पापा जी|

बर्तन-कपड़े  सब  अब  मेरे  ही  जिम्मे रह  गये है,
अरमान सारे  झाड़ू-पोंछे  में  बह  गये  पापा  जी|

कुछ  तो  मेरी  सुध-बुध  लो  अरज  करे  'कुमार',
पति से ज्यादा काम वाला बन गया में तो पापा जी|

© जय कुमार #YQBaba 
#funny #poem #ससुर
हास्य कविता: विनती सुन लो ससुर जी

अपनी राजदुलारी को कुछ दिन बुला लो पापा जी,
जीना  मुश्किल  हो  गया  मेरा  अब  तो  पापा जी|

सुबह-सुबह हो  जाए  शुरू  इसका  भजन कीर्तन,
चाय तो बना लूँ मैं पर कैसे आटा लगाउँ पापा जी|

बर्तन-कपड़े  सब  अब  मेरे  ही  जिम्मे रह  गये है,
अरमान सारे  झाड़ू-पोंछे  में  बह  गये  पापा  जी|

कुछ  तो  मेरी  सुध-बुध  लो  अरज  करे  'कुमार',
पति से ज्यादा काम वाला बन गया में तो पापा जी|

© जय कुमार #YQBaba 
#funny #poem #ससुर