दंगों ने छीन ली खुशियां सारी आपस में लड़ बैठे वो समुद्र से गहरी यारी थी जिनकी खुशियां जहां की दोस्ती पे वारी घर जलाते खयाल न आया अम्मी का जिसने हर बार थी नजर उत्तारी अशफाक से ज्यादा प्यार करती थी तुम्हें पल में तुमने कैसे दुनिया उजाड़ी ©Sushil Dwivedi दंगे