हिचकियां शाम लेती है, कि आहें रात है भरती। खुली रख जुल्फ ओ! ज़ुल्मी, ये चाहें आज भी कहती। हंसी संग सुबह में डटकर, यूं काटी दोपहर तपकर। किनारा पूछता नदिया, क्यूं अब तूं बह रही कट कर। -✍️ पंडित savya कट कर........#pyar #jindagi #Nadi #hichaki