मैं किताब हूँ, मत खोलो तुम मुझे । पन्ना दर पन्ना उलझते जाओगे । कभी मेरे बातो पे हंस दोगे । कभी मेरे दर्द पे रो दोगे । मेरे ख्यालों में तूम खो जाओगे । मैं किताब हूँ, मत खोलो तुम मुझे, पन्ना दर पन्ना उलझते जाओगे । 1 | जब तक मैं खाली खाली था। सादा पन का सवाली था। आइ वो मेरे ज़िन्दगी में स्याही बन पंक्ति पंक्ति जीवन निखर गया ज़िंदगी खटी - मीठी यादों का पन्ना पन्ना दर पन्ना बदलते गये मैं किताब हूँ, मत खोलो तुम मुझे, पन्ना दर पन्ना उलझते जाओगे । 2 |....... #किताब