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एक कवि गरीबी से तंग आके डाकू बन गया . डकैती करने

एक कवि गरीबी से तंग आके डाकू बन गया . 
डकैती करने वो बैंक गया और जाके सबके ऊपर पिस्तौल तान दिया और बोला 


“अर्ज़ किया है … 
तकदीर में जो हैं , वोही मिलेगा 
तकदीर में जो है, वोही मिलेगा 
..

एक कवि गरीबी से तंग आके डाकू बन गया . डकैती करने वो बैंक गया और जाके सबके ऊपर पिस्तौल तान दिया और बोला “अर्ज़ किया है … तकदीर में जो हैं , वोही मिलेगा तकदीर में जो है, वोही मिलेगा ..

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