में सीख रही हूं, उड़ना खुले आसमान में, अब अगर बंदिशे लगी तो सजा के बराबर होंगी, जिसमे गुनाह कोई मेरा ना होगा, लेकिन गुनेहगार में ही हूंगी, जो मंजूर तो बिल्कुल भी ना होंगी, पर माननी हर हाल में होंगी , फिर कुछ सवाल जेहन में उतरे है , लफ्ज़ दर लफ्ज़ अल्फाजों में उतरे है , क्या में ज़िद्द पर अड़ी रहू, क्या ये ठीक होगा गर में ना झुकू, समझ से यूं तो परे है सभी बातें मगर, फिर भी सोचना तो होगा ना, मुझे बढ़ना तो होगा ना , सबकी नजरों से एक बार जो उतरना पड़ा , लेकिन बढ़ने के लिए अब लड़ना होगा ना , मुझे खुद से ही सब करना होगा ना , मुझे अब काबिल बनना होगा ना, __raahikealfaaz__ ©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz) #life#adhurekhawab#kabil#Udaan# #Foggy