मन के तुम दीप न बुझने दो आन्धी के वेग से क्या डरना ये तो आते ही रहते हैं तुमको तो बस जलते रहना तुम पथिक निराले नव पथ के तुम योद्धा निडर समर के हो तुम हो अपराजित चिर चिर चिर तुम रखवाले हर पहर के हो शुभ रात्रि मित्रों।। योद्धा