गुरु पूर्णिमा एक सन्देश शिष्य ओर शिक्षक के नाम गुरु पूर्णिमा कितना अदभुत नाम है गुरु के समक्ष अपने जीवन को पूर्ण रूप से समर्पण करना। पर विडम्बना आज की ये है के गुरु प्रधान ना होकर समाज आज शिष्य प्रधान बन कर रह गया है। अब कुछ लोगों का मानना है कि ऐसा क्यों ना हो आखिर वो मुंह मांगी राशि विधायल को देते है, उनके बहत्तर भविष्य के लिए। उनके बच्चे को कोई कष्ट ना हो, उनका बच्चा बिना किसी कष्ट के जीवन में आगे बड़ता रहे।