कई बार #सदाचारी समझे जाने वाले लोग आश्चर्यजनक दुष्कर्म करते पाए जाते हैं - उसका कारण यही है कि उनके भीतर ही भीतर वह दुष्प्रवृति जड़ जमाए बैठी रहती है, उसे जब भी अवसर मिलता है, नग्न रूप में प्रकट हो जाती है - जैसे, जो चोरी करने की बात सोचता रहता है, उसके लिए अवसर पाते ही वैसा कर बैठना सामान्य होता है - शरीर से ब्रह्मज्ञानी और मन से व्यभिचारी बना हुआ व्यक्ति वस्तुत: व्यभिचारी ही माना जाएगा ...... इसलिए प्रयत्न यह होना चाहिए कि मनोभूमि में भीतर छिपे रहने वाले दुर्भावों का उन्मूलन करते रहा जाय, कुविचारों का शमन सद्विचारों से ही सम्भव है !!! #InspireThroughWriting