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बिखरते ख़्वाब मेरे तुम आकर सँवार जाओ, गुमसुम हूँ तु

बिखरते ख़्वाब मेरे तुम आकर सँवार जाओ,
गुमसुम हूँ तुम बिन कुछ निखार दे जाओ।

अब तो पसंदीदा दिवाली भी आने को है,
देर ना करो वक़्त रहते तुम भी आ जाओ।

कुछ अल्फाज़ रक्खें हैं सजाकर तुम्हारे लिए,
दिल-ए-नाशाद को मेरी कुछ आराम दे जाओ।

आफ़ताब में चमक भी कुछ कम है तेरे बगैर,
दहलीज़ पर हूँ बैठी कुछ तो पयाम दे जाओ।

ग़र अब भी मुहब्बत है दिल में कुछ बाकी,
थोड़ा सा ही सही पर कुछ हिसाब दे जाओ।

इस तरह से रूठा करते नहीं अपनों से सनम,
तुम मेरे हक़ का इस दिवाली इक चराग़ दे जाओ। ♥️ Challenge-723 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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बिखरते ख़्वाब मेरे तुम आकर सँवार जाओ,
गुमसुम हूँ तुम बिन कुछ निखार दे जाओ।

अब तो पसंदीदा दिवाली भी आने को है,
देर ना करो वक़्त रहते तुम भी आ जाओ।

कुछ अल्फाज़ रक्खें हैं सजाकर तुम्हारे लिए,
दिल-ए-नाशाद को मेरी कुछ आराम दे जाओ।

आफ़ताब में चमक भी कुछ कम है तेरे बगैर,
दहलीज़ पर हूँ बैठी कुछ तो पयाम दे जाओ।

ग़र अब भी मुहब्बत है दिल में कुछ बाकी,
थोड़ा सा ही सही पर कुछ हिसाब दे जाओ।

इस तरह से रूठा करते नहीं अपनों से सनम,
तुम मेरे हक़ का इस दिवाली इक चराग़ दे जाओ। ♥️ Challenge-723 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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