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शेर-ओ-शायरी तो दिल बहलाने का ज़रिया है जनाब, लफ़्ज़

शेर-ओ-शायरी तो दिल बहलाने का ज़रिया है जनाब, 
लफ़्ज़ काग़ज़ पर उतारने से महबूब लौटा नहीं करते।

sultan ansari

शेर-ओ-शायरी तो दिल बहलाने का ज़रिया है जनाब, लफ़्ज़ काग़ज़ पर उतारने से महबूब लौटा नहीं करते। sultan ansari

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