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कुछ पाया कुछ खोया कुछ बाकी सा रह गया, ज़िन्दगी तुझक

कुछ पाया कुछ खोया कुछ बाकी सा रह गया,
ज़िन्दगी तुझको मनाने में पानी सा बह गया।
कभी पिया करते थे ज़िन्दगी के मैख़ाने में,
आज मैख़ाने में एक टूटा हुआ पैमाना रह गया।
मुकम्मल हो न सका इश्क़ इस जहाँ का मेरा,
तेरे हिज्र में अश्कों का नज़राना रह गया।
उठा हूँ ख़ाक से मेरे ख़ुदा तेरी इनायत है,
मलाल ये है कि इस जहाँ में बे-अफ़साना रह गया।
है काफ़िला सा इस बुत के चारसूं फैला,
है ग़म यही के सफ़र में तन्हा सा रह गया।
कुछ पाया कुछ खोया कुछ बाकी सा रह गया,
ज़िन्दगी तुझको मनाने में पानी सा बह गया।
कभी पिया करते थे ज़िन्दगी के मैख़ाने में,
आज मैख़ाने में एक टूटा हुआ पैमाना रह गया।
मुकम्मल हो न सका इश्क़ इस जहाँ का मेरा,
तेरे हिज्र में अश्कों का नज़राना रह गया।
उठा हूँ ख़ाक से मेरे ख़ुदा तेरी इनायत है,
मलाल ये है कि इस जहाँ में बे-अफ़साना रह गया।
है काफ़िला सा इस बुत के चारसूं फैला,
है ग़म यही के सफ़र में तन्हा सा रह गया।
roshanjain6570

Roshan Jain

Bronze Star
Growing Creator