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वह शाम सर्दथी थी कुछ तनहाइयाँ कुछ लम्हों

वह शाम सर्दथी 
        थी कुछ तनहाइयाँ
कुछ लम्हों के सरसराहट 
तेरी यादों की कुछ परछाईयाँ,
सहर थी गुमसुम 
बीमार बीमार सा मौसम
पास में बिख़िरी थी कुछ 
तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईया ।।बेलाभूमि

©Bela Bhumi (Poet) वह शाम सर्दथी 
        थी कुछ तनहाइयाँ
कुछ लम्हों के सरसराहट 
तेरी यादों की कुछ परछाईयाँ,
सहर थी गुमसुम 
बीमार बीमार सा मौसम
पास में बिख़िरी थी कुछ 
तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईया ।।बेलाभूमि
वह शाम सर्दथी 
        थी कुछ तनहाइयाँ
कुछ लम्हों के सरसराहट 
तेरी यादों की कुछ परछाईयाँ,
सहर थी गुमसुम 
बीमार बीमार सा मौसम
पास में बिख़िरी थी कुछ 
तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईया ।।बेलाभूमि

©Bela Bhumi (Poet) वह शाम सर्दथी 
        थी कुछ तनहाइयाँ
कुछ लम्हों के सरसराहट 
तेरी यादों की कुछ परछाईयाँ,
सहर थी गुमसुम 
बीमार बीमार सा मौसम
पास में बिख़िरी थी कुछ 
तेरे ही दर्द और तेरी ही दवाईया ।।बेलाभूमि