डरना तो कब का छोड़ दिया, अब बस लड़ने की चाह है,, हार के डर से ज्यादा खुद को भूलना मैंने छोड़ दिया है,,, बस बढ़ते रहना ही है मेरी जिंदगी , किसी को मुझसे कितनी दिक्कत अब इसकी परवाह कहाँ हैं,, ये मत समझना की एटीट्यूड है मेरे अंदर पर लड़ने की जिद ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है,, हार से ज्यादा लड़ने की आदत डालो ,,,,