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वो भी कैसी बस्ती हैं जहाँ पर तू बस्ती है मर्जी तेर

वो भी कैसी बस्ती हैं जहाँ पर तू बस्ती है
मर्जी तेरी थी न ना मजबूर होकर हस्ती है,

                           लोगो ने इतना जाना है तू काम एक ही आना है,
 क्या ये सोच तुझे सताती है ?
            समपक्या तू वापस जीनी चाहती है ?

क्या बचपन तेरा छीना था क्या मुश्किल तेरा जीना था ,
उन हालतो से हार चुकी हर रात अलग बिछौना था

                      झांसा अच्छे जीवन का क्या देकर तुझको लाया छा
                     क्या भूल चुकी हैं वो जो हर सपना तूने सजाया था,

क्या आज भी तू तरस्ती है इस दलदल से बहार बाहर आने को
क्या आज भी तू तरस्ती है फिर से घर जाने को 

                       क्या पहचान बनाने के लिए दुनिया  ने  तुझे उकसाया हैं?
                         अगर नही तो फिर तूने ये रास्ता क्यों आपनाया है ?


"गगूंबाई कोठे वाली को सर्मपित"

©Surya Ratre गंगूबाई कोठे वाली

#apart
वो भी कैसी बस्ती हैं जहाँ पर तू बस्ती है
मर्जी तेरी थी न ना मजबूर होकर हस्ती है,

                           लोगो ने इतना जाना है तू काम एक ही आना है,
 क्या ये सोच तुझे सताती है ?
            समपक्या तू वापस जीनी चाहती है ?

क्या बचपन तेरा छीना था क्या मुश्किल तेरा जीना था ,
उन हालतो से हार चुकी हर रात अलग बिछौना था

                      झांसा अच्छे जीवन का क्या देकर तुझको लाया छा
                     क्या भूल चुकी हैं वो जो हर सपना तूने सजाया था,

क्या आज भी तू तरस्ती है इस दलदल से बहार बाहर आने को
क्या आज भी तू तरस्ती है फिर से घर जाने को 

                       क्या पहचान बनाने के लिए दुनिया  ने  तुझे उकसाया हैं?
                         अगर नही तो फिर तूने ये रास्ता क्यों आपनाया है ?


"गगूंबाई कोठे वाली को सर्मपित"

©Surya Ratre गंगूबाई कोठे वाली

#apart
suryaratre7806

Surya Ratre

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