जुल्फें ये बढ़ गई है। तेरे हिज़्र में काफ़िर। कुछ ऐसे हम खुद से अंजान बने है। पालतू हो गये थे। हम तेरे इश्क़ में। अब दूर जो हुए तो इंसान बने है। पागल हुआ करते थे हम तेरे इश्क़ में। पागल अपने पीछे आज ये जहांन बने है। ना समझ चालाक खुद को। वो तो हम ही शरीफ थे। चंद सिक्को के पीछे क्यों बेईमान बने है। अच्छा हुआ इश्क की बदली जो छट गई। आज खुद का मेरा अलग आसमां बने है। संदीप संग मेरे और भाई अभिषेक । देख कैसे अपनी अलग पहचान बने है। दिल कहता है तुमको अब माफ़ भी करुं। जहन बोले है ताहिर इंतक़ाम बने है। ताहिर।।। #इंतक़ाम