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दयालबाग, अपनी संस्कृति ,सभ्यता ,संस्कार,आपसी व्यव

दयालबाग,
 अपनी संस्कृति ,सभ्यता ,संस्कार,आपसी व्यवहार  के कारण एक अनूठी पहचान रखता है ,
यहां की मिट्टी में निस्वार्थ सेवा भाव और अपनत्व की भावना है इसी मिट्टी पर स्थापित है दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट जिसको पूर्ण डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने में लाल साहब ने अपना सर्वत्र न्योछावर कर दिया , इस विश्वविद्यालय में शिक्षा ही नहीं संस्कार भी दिए जाते है जो आपको और आपके व्यक्तित्व को निखार कर आपको एक जिम्मेदार नागरिक,एक जिम्मेदार विद्यार्थी ,एक जिम्मेदार पुत्र बनाते है, एक नशा सा हो जाता है यहां वक्त गुजारने वाले व्यक्ति को, ये नशा होता है अपनत्व का,जो यहां वक्त गुजारने वाले व्यक्ति को  बार बार अपनी और खीचता है ,मैंने अपने जिंदगी के अहम तीन साल इस जगह पर गुजारे है ,इन तीन सालों में मुझे इस मिट्टी और यहां से जुड़े लोगो ने जो प्रेम,संस्कार,शिक्षा मुझे दी है उसका कर्ज शायद मैं कभी नहीं चुका पाऊंगा
इस जगह ने ही मुझे हॉस्टलर्स के रूप में एक बड़ा परिवार ,कॉलेज के दोस्तो के रूप में सच्चे यार ,
और गुरुओं के रूप में सच्चे मार्गदर्शक दिए है,
अभी कुछ महीने ही हुए है हमें इस मिट्टी से जुदा हुए 
मगर लगता है जैसे सालों बीत गए है ,
इस मिट्टी में रहकर ही मैंने जाना अपनों की कीमत,वक्त की अहमियत,
मेरे इन तीन वर्षो को खुशनुमा और यादगार बनाने के
दयालबाग की सड़कों ,दुकानों फुटपाथों, हॉस्टलों , क्लासेज,खेतों,लोगो और डी ई आईं के सभी महानुभावों और मेरे मित्रो और उस पागल लड़की  का आभार  ,
अंत में उस ईश्वर से बस इतना ही कहना चाहूंगा की आपका शुक्रिया जो आपने मुझे इस पावन भूमि का एक हिस्सा बनने का अवसर प्रदान किया 
.......#जलज राठौर(#EX DEIAN( दयालबाग,
 अपनी संस्कृति ,सभ्यता ,संस्कार,आपसी व्यवहार  के कारण एक अनूठी पहचान रखता है ,
यहां की मिट्टी में निस्वार्थ सेवा भाव और अपनत्व की भावना है इसी मिट्टी पर स्थापित है दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट जिसको पूर्ण डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने में लाल साहब ने अपना सर्वत्र न्योछावर कर दिया , इस विश्वविद्यालय में शिक्षा ही नहीं संस्कार भी दिए जाते है जो आपको और आपके व्यक्तित्व को निखार कर आपको एक जिम्मेदार नागरिक,एक जिम्मेदार विद्यार्थी ,एक जिम्मेदार पुत्र बनाते है, एक नशा सा हो जाता है यहां वक्त गुजारने वाले व्यक्ति को, ये नशा होता है अपनत्व का,जो यहां वक्त गुजारने वाले व्यक्ति को  बार बार अपनी और खीचता है ,मैंने अपने जिंदगी के अहम तीन साल इस जगह पर गुजारे है ,इन तीन सालों में मुझे इस मिट्टी और यहां से जुड़े लोगो ने जो प्रेम,संस्कार,शिक्षा मुझे दी है उसका कर्ज शायद मैं कभी नहीं चुका पाऊंगा
इस जगह ने ही मुझे हॉस्टलर्स के रूप में एक बड़ा परिवार ,कॉलेज के दोस्तो के रूप में सच्चे यार ,
और गुरुओं के रूप में सच्चे मार्गदर्शक दिए है,
अभी कुछ महीने ही हुए है हमें इस मिट्टी से जुदा हुए 
मगर लगता है जैसे सालों बीत गए है ,
इस मिट्टी में रहकर ही मैंने जाना अपनों की कीमत,वक्त की अहमियत,
दयालबाग,
 अपनी संस्कृति ,सभ्यता ,संस्कार,आपसी व्यवहार  के कारण एक अनूठी पहचान रखता है ,
यहां की मिट्टी में निस्वार्थ सेवा भाव और अपनत्व की भावना है इसी मिट्टी पर स्थापित है दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट जिसको पूर्ण डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने में लाल साहब ने अपना सर्वत्र न्योछावर कर दिया , इस विश्वविद्यालय में शिक्षा ही नहीं संस्कार भी दिए जाते है जो आपको और आपके व्यक्तित्व को निखार कर आपको एक जिम्मेदार नागरिक,एक जिम्मेदार विद्यार्थी ,एक जिम्मेदार पुत्र बनाते है, एक नशा सा हो जाता है यहां वक्त गुजारने वाले व्यक्ति को, ये नशा होता है अपनत्व का,जो यहां वक्त गुजारने वाले व्यक्ति को  बार बार अपनी और खीचता है ,मैंने अपने जिंदगी के अहम तीन साल इस जगह पर गुजारे है ,इन तीन सालों में मुझे इस मिट्टी और यहां से जुड़े लोगो ने जो प्रेम,संस्कार,शिक्षा मुझे दी है उसका कर्ज शायद मैं कभी नहीं चुका पाऊंगा
इस जगह ने ही मुझे हॉस्टलर्स के रूप में एक बड़ा परिवार ,कॉलेज के दोस्तो के रूप में सच्चे यार ,
और गुरुओं के रूप में सच्चे मार्गदर्शक दिए है,
अभी कुछ महीने ही हुए है हमें इस मिट्टी से जुदा हुए 
मगर लगता है जैसे सालों बीत गए है ,
इस मिट्टी में रहकर ही मैंने जाना अपनों की कीमत,वक्त की अहमियत,
मेरे इन तीन वर्षो को खुशनुमा और यादगार बनाने के
दयालबाग की सड़कों ,दुकानों फुटपाथों, हॉस्टलों , क्लासेज,खेतों,लोगो और डी ई आईं के सभी महानुभावों और मेरे मित्रो और उस पागल लड़की  का आभार  ,
अंत में उस ईश्वर से बस इतना ही कहना चाहूंगा की आपका शुक्रिया जो आपने मुझे इस पावन भूमि का एक हिस्सा बनने का अवसर प्रदान किया 
.......#जलज राठौर(#EX DEIAN( दयालबाग,
 अपनी संस्कृति ,सभ्यता ,संस्कार,आपसी व्यवहार  के कारण एक अनूठी पहचान रखता है ,
यहां की मिट्टी में निस्वार्थ सेवा भाव और अपनत्व की भावना है इसी मिट्टी पर स्थापित है दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट जिसको पूर्ण डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने में लाल साहब ने अपना सर्वत्र न्योछावर कर दिया , इस विश्वविद्यालय में शिक्षा ही नहीं संस्कार भी दिए जाते है जो आपको और आपके व्यक्तित्व को निखार कर आपको एक जिम्मेदार नागरिक,एक जिम्मेदार विद्यार्थी ,एक जिम्मेदार पुत्र बनाते है, एक नशा सा हो जाता है यहां वक्त गुजारने वाले व्यक्ति को, ये नशा होता है अपनत्व का,जो यहां वक्त गुजारने वाले व्यक्ति को  बार बार अपनी और खीचता है ,मैंने अपने जिंदगी के अहम तीन साल इस जगह पर गुजारे है ,इन तीन सालों में मुझे इस मिट्टी और यहां से जुड़े लोगो ने जो प्रेम,संस्कार,शिक्षा मुझे दी है उसका कर्ज शायद मैं कभी नहीं चुका पाऊंगा
इस जगह ने ही मुझे हॉस्टलर्स के रूप में एक बड़ा परिवार ,कॉलेज के दोस्तो के रूप में सच्चे यार ,
और गुरुओं के रूप में सच्चे मार्गदर्शक दिए है,
अभी कुछ महीने ही हुए है हमें इस मिट्टी से जुदा हुए 
मगर लगता है जैसे सालों बीत गए है ,
इस मिट्टी में रहकर ही मैंने जाना अपनों की कीमत,वक्त की अहमियत,