उस मावे की मिठास आज तक जेहन में जिंदा है,पापा घर लाये थे उन सिक्कों की खनक आज तक जिंदा है,जिनसे ढेरों चीजे लाये थे दर्द तो इस जिंदगी ने हमे हजार दिये,पर कुछ दर्द,आजतक शर्मिंदा है, जिसे हम पापा की मार से कोई न कोई एक नया सबक सीख आये थे अब यूँ तो हम लाखों रुपये कमा भी रहे है और उड़ा भी रहे है,साखी, वो चवन्नी,अठन्नी आज तक जिंदा है,जिससे दुनिया खरीद लाये थे बना लिया गया,हमने भी आज खुद का बंगला-कोठी,गाड़ी-वाड़ी वो पुराना घर आज तक जिंदा,जिसमे हम अल्हड़ यादे छोड़ आये थे वो बचपन के दिन आज तक जिंदा है,जिसमे मित्र ही थे हमारे धन, वो रेत के खेल,आज तक जिंदा है,जिसमें खुद के घर,गाड़ियां छोड़ आये थे हम कभी मुफलिसी में भी अमीर थे,आज अमीरी में बहुत गरीब है, वो पुराने चित्र आज तक जिंदा है,जिसमे अपनी चीजे मित्रो को दे आये थे न ऊंच-नीच का भेद,न धर्म-जाति का भेद,खेल में सबके सब थे एक, वो मैदान,आज तक जिंदा है,जिसमे जांति-पांति,साम्प्रदायिकता छोड़ आये थे वो मां का प्यार,पिता की डांट,हमारे गुरु की फटकार आज तक जिंदा है, जिससे हम अपना आज का ये सुनहरा ,उज्ज्वल भविष्य बनाकर आये थे पर अब न रहा वो साफ-सुथरापन जिंदा है,जिसमे हम बचपन मे छोड़ आये है अब रह गया है,बस दिखावा ही दिखावा जो आज हम सब वर्तमान में पाये है फिर स्वर्ग होगा जिंदा,यदि होंगे शर्मिंदा लाएंगे वो बचपना जिसे छोड़ आये है फिर से दुनिया बनेगी हमारी जन्नत,यदि हम दिखावे को छोड़ सच्चाई लाये है दिखावे में कुछ नही धरा है,साखी,वही मरने के बाद भी जिंदा रहता है, जिसे हम खुद ही जिंदा दफ़न कर के आये है साफ नियत,साफ मन के रहो ऐसे ही लोग सदा इतिहास बनाकर आये है दिल से विजय आज तक जिंदा