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तुम सोते हो आलीशान-महलों में, वो खेत की मैड़ पर ही

तुम सोते हो आलीशान-महलों में,
वो खेत की मैड़ पर ही सो जाता है...!
सबको खुश रखने की खातिर ,
वह लाखों दुख सह जाता है...!
स्वाद-भरे भोजन तुम्हें देता 
खुद सूखी-रोटी भी खा जाता है...!
खुद जागे चाहे कई-रातों ,
पर चैन-से सबको सुलाता है....!
ऐ सरकारों !  कभी इसकी आँख में,
 आँसू ना आने देना...!
जो भरता है सबका पेट उसे,
कभी भूखा ना रहने देना ...!
                                   जय धरतीपुत्र...!

©Shivshankar pathak #धरतीपुत्र
#शिवशंकरपाठक_शिवसागर
तुम सोते हो आलीशान-महलों में,
वो खेत की मैड़ पर ही सो जाता है...!
सबको खुश रखने की खातिर ,
वह लाखों दुख सह जाता है...!
स्वाद-भरे भोजन तुम्हें देता 
खुद सूखी-रोटी भी खा जाता है...!
खुद जागे चाहे कई-रातों ,
पर चैन-से सबको सुलाता है....!
ऐ सरकारों !  कभी इसकी आँख में,
 आँसू ना आने देना...!
जो भरता है सबका पेट उसे,
कभी भूखा ना रहने देना ...!
                                   जय धरतीपुत्र...!

©Shivshankar pathak #धरतीपुत्र
#शिवशंकरपाठक_शिवसागर