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ख़्वाहिश और जरुरत पल इक पल में फ़क़त वो मूरत बन गयी,

ख़्वाहिश और जरुरत पल इक पल में फ़क़त वो मूरत बन गयी,
इल्म न हुआ कब ख्वाहिश से जरूरत बन गयी,

उस रोज राब्ता हुआ भीड़ में सरकार  का,
पल भर में जान ,अनजान सी सूरत बन गयी,

घरोंदे भी बेजार नज़र आने लगे थे जो
कब गुलाबी दुपट्टा उड़ा औऱ इमारत बन गयी

लाचार मौसम के कहर कुछ यूँ फिसल गए
झोली में आ गिरी खुदा की इनायत बन गयी। #ख्वाहिशऔरजरूरत #nojotopoetry #gazal #hindi #poem
ख़्वाहिश और जरुरत पल इक पल में फ़क़त वो मूरत बन गयी,
इल्म न हुआ कब ख्वाहिश से जरूरत बन गयी,

उस रोज राब्ता हुआ भीड़ में सरकार  का,
पल भर में जान ,अनजान सी सूरत बन गयी,

घरोंदे भी बेजार नज़र आने लगे थे जो
कब गुलाबी दुपट्टा उड़ा औऱ इमारत बन गयी

लाचार मौसम के कहर कुछ यूँ फिसल गए
झोली में आ गिरी खुदा की इनायत बन गयी। #ख्वाहिशऔरजरूरत #nojotopoetry #gazal #hindi #poem