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हुस्न के नूर से रौशन हुआ जहाँ सारा, जैसे चराग़ जले

हुस्न के नूर से रौशन हुआ जहाँ सारा,
जैसे चराग़ जले कोई बेमिसाल तारा।
शबाब छू के कहे, "ऐसा करिश्मा कहाँ?"
मख़मली लम्स ने दिल का सुकून उतारा।

©Shailendra Gond kavi #Likho  शायरी हिंदी में #Shailendra_Gond_kavi #
हुस्न के नूर से रौशन हुआ जहाँ सारा,
जैसे चराग़ जले कोई बेमिसाल तारा।
शबाब छू के कहे, "ऐसा करिश्मा कहाँ?"
मख़मली लम्स ने दिल का सुकून उतारा।

©Shailendra Gond kavi #Likho  शायरी हिंदी में #Shailendra_Gond_kavi #