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धड़कते थे दिल में, मेरे दिल की धड़कन बनकर। महकते थ

धड़कते थे दिल में, मेरे दिल की धड़कन बनकर।
महकते थे सांसो में, मेरे जीवन की महक बनकर।

बंदगी करते थे तुम्हारी, तुम्हें अपना खुदा समझते थे,
दौड़ते थे नस-नस में मेरी, रहते थे मेरा लहू बनकर।


 नमस्ते दोस्तों। 
हमारा प्रथम चैलेंज है मुक्तक। 
पहले इस विधा का रूप समझते हैं।
मुक्तक चार पंक्तियों पर आधारित वह काव्य विधा है जिसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति समान तुकांत वाली होती है। 

उदाहरण:-
हिंद के वीरों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम है
नाम उन्हीं के सुबह मेरी, नाम उन्हीं के शाम है
धड़कते थे दिल में, मेरे दिल की धड़कन बनकर।
महकते थे सांसो में, मेरे जीवन की महक बनकर।

बंदगी करते थे तुम्हारी, तुम्हें अपना खुदा समझते थे,
दौड़ते थे नस-नस में मेरी, रहते थे मेरा लहू बनकर।


 नमस्ते दोस्तों। 
हमारा प्रथम चैलेंज है मुक्तक। 
पहले इस विधा का रूप समझते हैं।
मुक्तक चार पंक्तियों पर आधारित वह काव्य विधा है जिसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति समान तुकांत वाली होती है। 

उदाहरण:-
हिंद के वीरों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम है
नाम उन्हीं के सुबह मेरी, नाम उन्हीं के शाम है