उजाले अब जफा के नज़र आते ह बस मुझको वफ़ा का नाम लेने से डर लगता ह अब मुझको खिलाये ह मेरे गुलशन में जो तूने जफा ऐ गुल वही आतिश वही लम्हे जलाते ह सब मुझको भरोसा ही तो टूटा ह अभी उम्मीद बाकि ह यही उम्मीद मंजिल ह मिलायेगी जब मुझको आना था मेरे दर पे इस बेकसी सूरज को तड़प कर टूटता हु तो मज़ा आता ह तब मुझको A