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मेरी क़िस्मत में तू नहीं तो मेरा क्या कसूर है, हर

मेरी क़िस्मत में तू नहीं तो मेरा क्या कसूर है,
हर शख्स यहां मोहब्बत में बस मजबूर है ।
इक ख्वाहिश कि तुझे देखूं सुबह - शाम हर घड़ी,
और सितम ये कि मेरे घर से तेरा शहर दूर है ।।

©Er. Ambesh Kumar
  मोहब्बत और दूरी.......

मोहब्बत और दूरी....... #Shayari

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