मेरे हर जज़्बात मेरे दर्द को बयांँ करते हैं। सबकी आंँख ना भर जाएंँ कहीं पढ़ते पढ़ते। दूर जाकर भी हम तुम्हें भूला ना सके। होकर जुदा हम जुदा ना हो सके। कितना रोए हम तन्हा अकेले में बता ना सके। क्या हम बताए अल्फाज़ ना मिल सके। दर्द–ए–दिल की दास्तांँ और इश्क़ की इम्तिहान अभी बाकी है। दिल को समझाए कैसे हम अब टूटे दिल के साथ पूरी ज़िन्दगी जीना अभी बाकी है। दास्तान–ए–ग़म दिया हमें उस सितमगर ने ऐसा। ताउम्र बेवफ़ाई के आग में जलने के लिए हमें छोड़ा। ♥️ Challenge-776 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।