सूर्या- घर से बाहर निकलने में, आज भी डर लगता है... ज़माने की नज़रों से, मन सहमने लगता है... छुआ गलत इरादे से जो, रूह मेरी कांप गई... वहशी था वो इंसा नही, तब मैं ये भांप गई... आबरू मेरी "साहिल", कोई खिलौना थोड़ी है... सम्मान करो हर नारी का, जूती पैरों की थोड़ी है... ✍️ तरुण सूर्यवँशी "साहिल" #नारी #Love #Life #शायरी #Shayari #Nojoto #कविता #Poetry #विचार