छूना आसमान है तू कर कोशिश ; तुझे छूना , आसमान है अभी तो बची तेरे बाजुओं में ; बहुत जान है मान हैं ,सम्मान है, यहां कुछ करने वाले का जो गया जाग वक्त पर ;उसी का यशोगान है कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद छूना आसमान है......कीर्तिप्रद