डाल डाल पर बैठा होता आसमान में उड़ने को मन आतुर होता हरदम आसमान की ऊंचाई को छु़ूता होता कभी ना मै रोता होता सपनो को आसमान मे पिरोता होता मेहनत से पेटभर चैन की नींद सोता होता अगर मे पंछी होता केद में किसी के ना रहता होता पिंजरो को तोड़ जमाने के साथ छोड़ मतलबी इंसानो का खुली हवा मे उड़ता होता शाम को मात पिता की सेवा करके सोता होता आंधी तूफानो को हर पल मात देता होता सुबह सबेरे उठकर यारो के संग दाने के लिये जाता होता कितना अच्छा होता कि मैं परिंदा होता डर भी है ,कही डाल डाल पर दरिंदा होता तो कब का जमीन पर गिरता सबको नजर होता अगर कही मै पंछी होता अगर कही मै पंछी होता,