प्रिय मित्र विनोद कभी कभार लगता है साला कि मैं अकेला हूँ,पता है ऐसा कयुं महसूस होता है इस बारे में मिलुगा तो बताऊँगा कयुंकी कुछ बातें आमने सामने करने से ही बेहतर है।लेकिन दोस्त से बात होते ही मन प्रफुल्लित हो जाता है,विशेषकर तुम्हे याद करके। जिंदगी का असली मतलब तो शादी के बाद ही पता चलता है।मेंने हाल ही में आतिश ओर उसकी चोटी सी फैमिली के फोटो देखे दोनों काफी खुश थे।यही जिंदगी है जोड़ी में।पता नहीं रब ने हमारे लिए किसे चुना होगा। मेंने बताया था रक्षाबंधन देख रहा हूँ। फिल्म तो देखने लायक है।में तो कहता हूँ कि कुछ फिल्म इंसान के वास्तविक जीवन से जुड़ी हुई होनी चाहिए ओर ये रक्षाबंधन फिल्म इसका उदाहरण है।बहुत ही अच्छी फिल्म है। समय मिले तब जरूर देखना जीवन की वास्तविक पर है। चलो ओर बात करते हैं किसी ने मुझे एक ऐसी बात पूछी जिसका जवाब गलत है या सही मुझे नहीं पता लेकिन मैं ने इसका जवाब यही दिया कि" प्रेम में किसी पाना जरूर नहीं,वो जहाँ भी रहे वहाँ खुश रहे ये जरूरी है। जरसल बात यह ह की एक मित्र प्रेम में पागल है तो उस लड़की को भगाने की बात करता उसने मुझे से पूछा कि सच्चा प्यार किसी कहते हैं,मेरा जवाब सही है या गलत मैं नहीं जानता,लेकिन मैंने उससे कहाँ था प्रेम में सामने वाले कि खुश देखी जाती है खुदखुशी नहीं। यार इतनी सारी बातों में मैं तुमहारी ओर हमारी बातें करना तो भूल ही गया ये जीवन हमें कहा ले जाएगा पता नहीं।आतिश ओर संजु बाबा की छोटी फैमिली हो चुकी है। तो कभी कभी सोचता हूँ हमारे लिए भी अच्छी ही जोड़ी बनाई होगी तो अच्छा है।कयुंकी मैनें सोचा है कि एक बार हमें दोनों सेटल हो जाए तो अपनी अपनी धर्मपत्नी के साथ आणंद शहेर की मुलाकात लेगे ओर वडताल,मोटा बाजार,शक्ति चाय सभी की मुलाकात ओर साथ में तस्वीर लेगे। मैंने बह सोच लिया है अब रब बना दज ऐसी जोड़ी तभी मजा आऐ। तुमहे हाल ही बुलेट ट्रेन की धटना सुनी होगी,तब सोचता हूँ विकास किस ओर गया है यार...कयुंकी एक निर्जीव मशीन वापस बनाई जा सकती है लेकिन भेंस को इंसान के जन्म जैसी प्रकिया से ही गुजरना पडता है।तब भी खबरों में छपा " भैंसों के आगे आ जाने से बुलट ट्रेन को हुआ नुकसान" बोलो यार यहाँ भैसों की जिंदगी चली गई वो नहीं सोचते ओर नुकसान का सोचते हैं।माना कि भैसों के मालिक की गलती है लेकिन उतनी ही गलती बुलेट ट्रेन के केप्टन की भी है कि आगे रास्ते पर कोई है या नहीं।तुम सोच रहे होगे विजय कयुँ इस मामले में तिल मिल गया है। जरासल बात येहै कि मेरी मोसी है उनकी भी भैंस है में जब भी जाता हूँ,भैसें के साथ मस्ती करता हूँ वो कुछ नही करती यार बल्कि हमारे साथ सरारते करती है।ये दु ख तो शायद मालिक ही जाने फिर भी गलती उनकी निकाले तो बैचारा मर जाएगा।ये में इसलिए कह रहा हूँ कयुँ कि हमारे विस्तार में लोग अपने पशु के मोत पर भी बहुत रोते है ओर कुछ दिनों के लिए खाना भी बराबर से नहीं खाते। पता ही नहीं चल पाता लिखते समय कितना लिख डालता हूं। माफ करना गुरु वो रचना तुमहारी ही देन है लिख पूरी डाली लेकिन तुमहारे सामने सिर्फ कुछ पंक्ति प्रस्तुत करता हूँ।पता नहीं तुम कया सोचोगे "किसीके सामने किसीका जिक् इंसान का सोचने के लिए मुजबर कर देता है कि कैसी होगी वो किसी के सामने किसीका जिक्र इंसान को इस फिक्र में डाल देती है कि कया कर रही होगी वो " रचना मुझे शायद नहीं लिखनी चाहिए थी ।पूरी तो काफी रोमांचक है लेकिन किसी से मिले बिना मैंने ये लिख डाली इसलिए थोडा असहज महसूस कर रहा हूँ। कुछ गलती हो गई हो तो माफ करना गुरु...🙏 तुमहारा मित्र vijay.k.katara ©katara vijay khemabhai प्रिय मित्र विनोद मित्र विनोद #Shadow