*---------_____दास्तान ए ज़िन्दगी -2_____--------* मुशाफ़िर सी है ज़िन्दगी चार दिन की रवानि है हर रोज कुछ मनचली, कुछ अनसुनी तो कुछ अनकही सी कहानी है मुशाफ़िर सी है ज़िन्दगी चार दिन की रवानि है कल तो बित गया, और कल का पता नहीं आज को जीना सिख लो यारो, क्युकी बित गया है जो वो लौट के फ़िर आता नहीं फ़िर क्यु ढुड्ते फ़िरना सागर मे शीप सी निशानी है मुशाफ़िर सी है ज़िन्दगी चार दिन की रवानि है कुछ पल मे बातें कुछ खास होती है कुछ बातो मे इसकदर एहसास होती हैं कुछ एहसासो मे खुशी तो कुछ मे गम होते हैं पर सच तो है यही ज़िन्दगी की हर लम्हा, एक पल गुजर जानी है मुशाफ़िर सी है ज़िन्दगी चार दिन की रवानि है ©Sandeep YAYA life is just a stranger no one know what is next #sandeep_yaya #Shaayari