बदलने दो रुख हवाओं का आज हवाओं का बदलता रूख भी अच्छा लगता है करने दो जिंदगी को अपनी मनमानी यहां अभी जिंदगी से आंख मिंचोली का ये खेल भी अच्छा लगता है मिलती नहीं कई बार मंजिल हमे फिर भी रास्तों पर चलते चलते अब सफर भी अच्छा लगता है क्योकी अब हर मौसम?? हर गम भी अच्छा लगता हैं। ©Srishti Rana #Hum,#life#zindgi#achalagtahai