पैसों से तलियां खरीद सकते हो पर शोर कहां से लाओगे? ख़ुशी की महफ़िल में ख़ुशी के लिए तरसते नज़र आओगे? खुद को कलाकार कहने वाले जिंदगी जीने की कला को ही भूल जाओगे? मिलाओगे कभी खुद से नजरें तो खुद ही ना पहचान पाओगे झूठी हस्ती की खातिर ज़मीर अपना जो बेच आओगे! आसमान की चाह में ज़मीन की अहमियत और हद से काफी आगे निकल जाओगे ©Kajol Prem #mic #eternalsearch🌗 #stoppretence