नियति ने मुझे कुछ इस तरह सहेजा है जो करीब है,वो भी दूर नज़र आता है। तिनके तिनके को मुकम्मल करना चाहा, पर मुझे कहां पता, हम नही पुरी दुनिया दूर जाना चाहता है। -----रोshan Jha Niyati ka path....