ऐक सेलाब सा उमड़ पडा है खवाहिशों का दिल मे, भरनी हे उडान खुले आसमान में, बताना है इस दुनियां को, मोहताज नहीं हूँ में किसी के नाम की, है अलग पहचान मेरी, एेक मुकमल जाहान मेरा। kavita. s सेलाब