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खिल गया जो फूल चमन में, वो खुसनसीब है, कली बनते ही

खिल गया जो फूल चमन में, वो
खुसनसीब है, कली बनते ही तोड़
लिए जातें है, जिन कलियों को
वो बदनसीब है,उम्र पूरी भी नहीं देख
पाते, बस बेबस,होकर दर्द सहते
रह जातें है,
 है मुकदर उनका भी लिखा
रब नें अपने, कलम से फिर क्यों
एक कली को, चमन से जुदा किया,

©पथिक
  #कली फूल की दास्ता

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