दोस्ती - एक प्यारा रिश्ता जब हम मिले थे तो हमारी बात भी होगी, ऐसी ये उम्मीद भी न थी, दोस्ती हमारी इतनी गहरी होगी, ऐसी भी कोई ख़्वाहिश नहीं थी। पल यूँ ही गुजरते गए और हम अंजान से जान बनते गए, दोस्ती के इस लंबे सफ़र में, कितने ही हसीं यादें जुड़ते गए। कभी मायूस होते तो कभी प्यारी-सी मुस्कान दे जाना, बिन बताये मेरी हर बात को समझ जाना, कितना खास हैं न ये हमारा दोस्ती का रिश्ता, जहाँ हैं रूठना-मनाना, साथ रोना-हँसना। ऐसे तो हर वक़्त एक-दूसरे को सताया करते हैं, पर कोई मुसीबत हो तो बिन सोचे साथ देते हैं, तेरा मिलना भी किसी किस्मत से कम हैं क्या, ये साथ ता-उम्र रहे हैं, ये दुआ भी सुबह-शाम माँगते हैं। #एक_अधूरा_शायर . . . #दोस्ती - एक प्यारा रिश्ता जब हम मिले थे तो हमारी बात भी होगी,