*✍🏻“सुविचार"*📝 📘*“8/12/2021”*📚 🖋️*“बुधवार”* 🌟 “कोयल की ध्वनि” सुनकर प्रत्येक का “मन आनंदित” हो जाता है, “कोयल” हमें बड़ी ही “प्रिय” है, अब ऐसा ही एक “पक्षी” है “कौआ”, एक है “कौआ” और एक है “कोयल”, इन दोनों में अधिक अंतर नहीं है किंतु कोयल की ध्वनि सुनकर सबका “मन प्रफुल्लित” हो जाता है, “कोयल” समक्ष आती है तो “मन शांत” हो जाता है लेकिन एक “कौआ” नजदीक आता है तो व्यक्ति दूर जाने लगता है, ऐसा क्यों होता है ? कारण है “वाणी” “कोयल की वाणी” बड़ी “मीठी” एवं “मधुर” होती है वही “कौए की वाणी” “अत्यंत कर्कश” होती है और “कर्कश वाणी” सुनना किसी को भी “प्रिय” नहीं है, आप स्वयं देख लिजिए कोई “व्यक्ति” आपके पास आकर आपसे बात करे,उसकी “वाणी” मीठी हो तो कितना “अच्छा” लगता है, “कर्कश” हो तो उससे “दूर” जाने का ही मन करेगा, तो आप “कोयल की भांति” अपनी “वाणी को मधुर” रखिए,ये सभी को “प्रिय” अवश्य लगेगी, और ये तब होता है जब आपके “मन में प्रेम” हो, तो अपने “मन” में “प्रेम” जाग्रत किजिए ये “वाणी” स्वयं “मीठी” हो जाएगी... *✍🏻“अतुल शर्मा* ©Atul Sharma _*✍🏻“सुविचार"*📝_ _📘 *“8/12/2021”*📚_ _🖋️ *“बुधवार”* 🌟_ _*“कोयल की वाणी”*_ _*“मीठी एवं मधुर”*_