मेरे गाँव की मिट्टी सौंधी-सौंधी आती है महक ना रह सकती जाए बिना मन जाता है बहक वो गेहूँ के लहलाहाते कोंपले दिल में उठती है कसक वो सन-सनाती हवाएँ तन जाता है देहक ।। Good night all 😴 भेजने का समय कल शाम 6 बजे तक। परिणाम की घोषणा कल रात 9 बजे तक। सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 आपके अल्फ़ाज़ शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ।