वो मुझमे अदाकारी ढूंढ रहा है गद्दार है जो वो गद्दारी ढूढं रहा है मुझे कहने वाले देश के दुश्मन सुन वफ़ादार हूं तु मुझमे व्यापारी ढूढं रहा है जान,मान,सम्मान,पहचान,भूल बैठा हूं अभी भी मुझमे तू शिकारी ढूंढ रहा है मुल्क से बेपनाह है मुहब्बत तुझसे ज्यादा तिरंगे मे भी तु तो कलाकारी ढूंढ रहा है बुजुर्गो ने बहा दिया खू वतन के आजादी मे क्रांतिकारी हूं तु मुझमे मक्कारी ढूंढ रहा है अली मुल्क