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कुछ का कुछ हो जाता हैं जो पास है अपने वो भी गुम ह


कुछ का कुछ हो जाता हैं
जो पास है अपने वो भी गुम हो जाता है।
बस साथ रहता है यादों का पुलिंदा ।
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें बनी रहती हैं।
मष्तिष्क के धरातल पर।
मंजिल की तलाश में भटकता मन ।
जो साथ चलता है वो भी छूट जाता है।
और फि न चाहते हुऐ कुछ का कुछ
हो जाता है।

©Neelam Sharma
  ःंः sardar singh yadav Satish Amarsingh POETICPOOJA istekhar bhai 6299368815