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'मृत्यु का तमाशा देखो' पंच दिवस की ज़िंदगी में,

'मृत्यु का तमाशा देखो' 

पंच दिवस की ज़िंदगी में, पंच रत्न बन जाता हूँ ,  
जब जीवित रहूँ, तो कौन पूछे मृत्यु हो, तो सब पूछे । 
 
स्वार्थ यदि समाया हो सब में ,  
तो क्रूर सभी बन जाएंगे ।  

मैंने देखा है उस राजपाट को ,  
जो मैं शीघ्र ही छोड़ जाऊँगा ।  

जो क्षणभंगुर है, वही सत्य है ।  
माया के बंधन तोड़कर ही  
जीवन का सार मिलेगा ,  
और आत्मा को शांति का द्वार मिलेगा ।।

©आनन्द कुमार झा #achievement मृत्यु का तमसा, सत्य की राह 🙂
'मृत्यु का तमाशा देखो' 

पंच दिवस की ज़िंदगी में, पंच रत्न बन जाता हूँ ,  
जब जीवित रहूँ, तो कौन पूछे मृत्यु हो, तो सब पूछे । 
 
स्वार्थ यदि समाया हो सब में ,  
तो क्रूर सभी बन जाएंगे ।  

मैंने देखा है उस राजपाट को ,  
जो मैं शीघ्र ही छोड़ जाऊँगा ।  

जो क्षणभंगुर है, वही सत्य है ।  
माया के बंधन तोड़कर ही  
जीवन का सार मिलेगा ,  
और आत्मा को शांति का द्वार मिलेगा ।।

©आनन्द कुमार झा #achievement मृत्यु का तमसा, सत्य की राह 🙂