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तुमसे बिछड़े हुए बरसों गुजर गये स्मृति का वो संताप

तुमसे बिछड़े हुए बरसों गुजर गये
स्मृति का वो संताप मन मे यत्न से सुरक्षित है
ह्रदय की यह व्यथा आज तुमको सुनानी है
 पीर जी किसी से कह नही सकती आज तुमको ही बतानी है

प्रिये तुम्हारा हाथ थाम जन्मों की सौंगध ले 
बाबुल का आंगन तज आयी थी
आंखों मे सुनहरे सपनों की सुरमई शाम सजाई थी
घूंघट का पट खुलते ही धरा घूमती सी नजर आयी थी
अनमना सा  प्रणय तुमने मुझसे रचाया था
रोष अपने प्रेम का हमारी सेज पर तुमने सजाया था
तन मन धन क्या अपना सर्वस्व तुम पर  ही मैंने लुटाया था
तुमने तो कर्तव्यो की चुनरी ओढा संस्कारों की डोरी   थमाया था
गुप चुप सी सब सहती रहना स्त्री की ये नई परिभाषा तुमने मुझे सिखाया था
नियति मान कर इसको अपना मैंने ही तुम्हारा हौसला बढ़ाया था
अनचाहे से गर्भ का दर्द भी तो मैंने पाया था
समाज मे सम्मान का सेहरा मैंने ही तो तुम्हें पहनाया था
ले कर इस दुनिया से विदा तुमने सबको यह दिखाया था 
प्रेम तुम्हारा विजय हुआ और कलंक मैंने अपने माथे  पर सजाया था
द्धैष सबके ह्रदय का मैंने अपने ही दामन मे सजाया था
काश मृत्यु को गले न लगा कर उसको दुल्हन बनाया होता
प्रेम तुम्हारा अमर होता  ना मेरे हिस्से  विष का प्याला होता
न मेरे हिस्से विष का प्याला होता

 #NojotoQuote #nojoto #nojotohindi #poetry #kavishala #books
तुमसे बिछड़े हुए बरसों गुजर गये
स्मृति का वो संताप मन मे यत्न से सुरक्षित है
ह्रदय की यह व्यथा आज तुमको सुनानी है
 पीर जी किसी से कह नही सकती आज तुमको ही बतानी है

प्रिये तुम्हारा हाथ थाम जन्मों की सौंगध ले 
बाबुल का आंगन तज आयी थी
आंखों मे सुनहरे सपनों की सुरमई शाम सजाई थी
घूंघट का पट खुलते ही धरा घूमती सी नजर आयी थी
अनमना सा  प्रणय तुमने मुझसे रचाया था
रोष अपने प्रेम का हमारी सेज पर तुमने सजाया था
तन मन धन क्या अपना सर्वस्व तुम पर  ही मैंने लुटाया था
तुमने तो कर्तव्यो की चुनरी ओढा संस्कारों की डोरी   थमाया था
गुप चुप सी सब सहती रहना स्त्री की ये नई परिभाषा तुमने मुझे सिखाया था
नियति मान कर इसको अपना मैंने ही तुम्हारा हौसला बढ़ाया था
अनचाहे से गर्भ का दर्द भी तो मैंने पाया था
समाज मे सम्मान का सेहरा मैंने ही तो तुम्हें पहनाया था
ले कर इस दुनिया से विदा तुमने सबको यह दिखाया था 
प्रेम तुम्हारा विजय हुआ और कलंक मैंने अपने माथे  पर सजाया था
द्धैष सबके ह्रदय का मैंने अपने ही दामन मे सजाया था
काश मृत्यु को गले न लगा कर उसको दुल्हन बनाया होता
प्रेम तुम्हारा अमर होता  ना मेरे हिस्से  विष का प्याला होता
न मेरे हिस्से विष का प्याला होता

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