ज्यो-ज्यो बिचारू गांव री मौज र।। त्यो-त्यो बिसर पड़ नयन म्हरा र ।। भूल्या-भटका रे शहर म आकर। भोली-भोली आव गांव री मन र।। चंदन लिलाट सा म्हरा केसर फुलवारी रे।। माटी रो कण-कण मोती सी चमक बिखर रे।। कंचन सी काया म्हारी अब बिछड़ गई र...।। काली बादळीया आग बिरखा कद बरस र।। आंख्या आग्य गांवा गया दिन गुजर र। गांवा री मौज जिया दिन-दिन खिच र। सौ सपना झूठा र शहर का हाल भुटा र। सौ अपना सच्चा र गांव का ठाठ चगा र।। कद को मिलणो कद को बिछुड़नो आ कुण जान र। सरवर ताल तलिया री मछली तो पाणि बिन तड़प र।। #गांव #मारवाड़ी #मारवाड़ीछोरी #yqdidi #yqbaba #quote #शहर