झूम रहा तन बदन मेरा प्रकृति के नजारों संग, लग रहा है देखा सपना आसमां में तारों संग। मचल रहा मन मेरा ख़ुशबू की बहारों के संग। वादियां भी गा रही है गीत बहारों के मेरे संग। नाच रही परछाई साथ साथ मेरे ठहरे पानी में। अलग जहां बसता चांद तारों का थमें पानी में। निहार रही मेरी आंखे प्रकृति के सुंदर नजारें। लग जाते चार चांद अगर होते तुम संग हमारे। #नज़ारे*