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इक शाम की ये बात है, जब बैठा मेरा मेहबूब मेरे साथ

इक शाम की ये बात है,
जब बैठा मेरा मेहबूब मेरे साथ है।
कुछ यूं गुज़र रहा था वो लम्हा,
मेरे कांधे पे उसका सर और मेरे हाथों में उसका हाथ है। destiny the untold stories
इक शाम की ये बात है,
जब बैठा मेरा मेहबूब मेरे साथ है।
कुछ यूं गुज़र रहा था वो लम्हा,
मेरे कांधे पे उसका सर और मेरे हाथों में उसका हाथ है। destiny the untold stories