आज, प्रातः भोर भये, मन की मुँडेर पर, दुआओं के रंग मे रंगी, इक तितली आयी, और आकर, मेरी हथेलियों पर बैठ गयी, एवं निश्छल भाव से, अपनी ममता व स्नेह के, रंगीन परों से, प्रार्थनाओं के चटकीले रंग, बिखेर उड़ चली, आज, प्रातः भोर भये, मन की मुँडेर पर, दुआओं के रंग मे रंगी, इक तितली आयी, और आकर, मेरी हथेलियों पर बैठ गयी, एवं निश्छल भाव से,