ईट ईट जोड़ कर हम ने मोहब्बत का घर बनाया हैं जमाने की आँधीयां में सब बिछड़ने को आया है रात भर मोहब्बत की बातें की , दिल को रूलाया हैं सुबह ज़ालिम जमाना मोहब्बत के खिलाफ हो आया है बिछड़ने पे रोने लेगे हाथों की लेकीर कोसके रोने लेगे मर जायेगे तेरे बिना अधूरी सी जिंदगी पल दो पल में किसी के हाथों की सुहागन बन गई तो जी नही पाऊँगी दूर होकर भी दूर हो नहीं पाऊँगी , मैं मर जाऊँगी #sanjaychampapur #मेरीडायकीकेकुछपन्ने #yq