मेरी पेन्सिल मेरी जिंदगी का हिस्सा है अनसुना सा किस्सा है ... दूनिया के लिये तो तुम एक मामूली सी पेंसिल हो लेकिन मेरे लिये तुम्हारे मायने कुछ और ही है .. तुम मेरी जिन्दगी का हिस्सा हो जो लोगो ने ना वो किस्सा हो ... तेरे संग की वो सारी मस्ती याद बहूत मुझे आती है .. याद है तुझे अपने नैल्स(नाखून ) पर घिस कर तुझे वो ब्लॅक नैल्स पोलिस भी तो पेहली बार लगाई थी ... कभी तुझे दाँतों तले चबा तेरा स्वाद चखा तो कभी मस्ती करने को तेरी नुकीली नोक भी तो दोस्तो को चुभाई थी ... दोस्त तो तू मेरी पक्के वाली है दोस्ती तूने क्या खूब निभाई थी ... तूने ही तो मेरी हर गलती को रबड़ से मिटा छुपाई थी ... याद है मुझे बढ़ती क्लास के साथ इन लोगो ने मेरे हाथ मे पेन थमा पेन्सिल मेरी मुझसे छुड़ाई थी ☹☹☹ और हम दोनो को ही ये जुदाई ना भाही थी .. तब थोड़ी सी चालकी मेने भी दिखाई थी सबकी नज़रो से चुरा अपनी पेन्सिल बेग मे मेने छुपाई थी ... अब थोड़ी बड़ी तो मै भी होगई थी सारा काम पेन से करने लगी थी... पेन भी बहूत कुछ सिखाता था तेरी याद वो भी बहूत दिलाता था जब - जब पेन का लिखा मुझसे मिट ना पाता था .. तब - तब गुस्सा मुझे बहूत आता था ... लेकिन बचपन तो अब भी मुझमे समाया था 😊😊 पेन को दरकिनार कर मेने अपना हाथ छुड़ाया था ... और फिर चुपके से निकाली बेग से मेने अपनी पेंसिल प्यारी थी जिससे करी मेने सुँदर - सुँदर चित्रकारी थी ... याद है तुझे वो सँस्कृत वाली टीचर से डाट भी तो तूने लगवाई थी उनके पीरियड मे मेहँदी के डिजाइन और वो तस्वीर भी तो तूने ही मुझसे बनवाई थी ... उस दिन तो बहूत डाट पड़ी और एक थप्पड़ भी और मेरी कोपी भी मेम अपने साथ ही ले गई थी .... फिर कुछ दिन बाद मेम ने मेहँदी भी तो मुझसे ही लगवाई थी और मजा तो तब आया जब मेम ने मेरी कॉपी मुझे वापिस लौटाई थी ...😃😃 उस दिन एक बात पेन ने मुझे समझाई थी , भाग मत मुझसे ... अगर पेन्सिल तुझे प्यारी है तो रख साथ उसे हमेशा कोई ना तुझको रोकेगा.... लेकिन मेरे द्वारा हुई गलती पर तुझे हर कोई टोकेगा ... पेन्सिल तेरा बचपना है और नया दौर हूँ मै तेरा .. जानता हूँ भली भाँति इस समाज को इसलिए भला चाहता हूँ तेरा ... तू अब भी बहूत नादान है जानती नही पेन्सिल ने तेरी गलतिया क्यूँ छुपाई थी ... पागल उसे तो तेरी गलतियोँ मे भी दिखी तेरे मासूम पचपन की परछाई थी ... पर मै ना ऐसा करूँगा तेरी गलतियोँ पे और ना पर्दा धकुंगा ... अब से तुझे अपनी गलतियोँ से सीख ले आगे है बढ़ना और इस निर्दयी समाज कासामना है करना ... ये सब सुन मेरी आँख से आँसु छलक गया उसी पल मेरा बचपन इस समाज के कदमो तले कुचल गया .... आज भी अपनी प्यारी पेन्सिल को अपने पास रखती हूँ ... उससे वही तस्वीर बना देखा करती हूँ ... पेन भी हम दोनो का साथ देख कर मुस्कुराता है और यही बात वो भी कहता है ... पेन्सिल तेरी जिन्दगी का एक प्यारा सा हिस्सा है अनसुना सा किस्सा है .... by ❤ mahi मेरी पेन्सिल मेरी जिंदगी का हिस्सा है अनसुना सा किस्सा है ... दूनिया के लिये तो तुम एक मामूली सी पेंसिल हो लेकिन मेरे लिये तुम्हारे मायने कुछ और ही है .. तुम मेरी जिन्दगी का हिस्सा हो जो लोगो ने ना वो किस्सा हो ... तेरे संग की वो सारी मस्ती याद बहूत मुझे आती है .. याद है तुझे अपने नैल्स(नाखून ) पर घिस कर तुझे वो ब्लॅक नैल्स पोलिस भी तो पेहली बार लगाई थी ... कभी तुझे दाँतों तले चबा तेरा स्वाद चखा तो कभी मस्ती करने को तेरी नुकीली नोक भी तो दोस्तो को चुभाई थी ... दोस्त तो तू मेरी पक्के वाली है दोस्ती तूने क्या खूब निभाई थी ... तूने ही तो मेरी हर गलती को रबड़ से मिटा छुपाई थी ...