किसी को याद रखना आबाद, कभी बर्बाद करता है। भूल पाना बहुत मुश्क़िल है, सब-कुछ याद रहता है। धड़कनों के साथ-साथ गिनते रहते कुछ लम्हात भी, कुछ जताना भी नहीं आसाँ, कुछ उफ़्ताद लगता है। कभी जैसे दुनिया, कभी कुछ भी नहीं हूँ दुनिया में, देखकर बने यूँ अजनबी, कुछ हम-ज़ाद दिखता है। ऐतबार भी है, मगर अपने होने का दिलाये तो यक़ीं, कुछ कोशिशें रहीं नाकाम, कुछ ना-शाद फिरता है। कैसे हो बयाँ 'धुन', आती नहीं लफ़्ज़ों की आराइश, कुछ चाशनी से अल्फ़ाज़ तो कुछ अस्नाद जचता है। उफ़्ताद- difficult हम-ज़ाद- Alter Ego अस्नाद- Certificate, Testimonial नमस्कार लेखकों🌺 Collab करें हमारे इस #RzPoWriMoH18 के साथ और "भूल पाना मुश्किल है, सब कुछ याद रहता है" पर कविता लिखें।