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मेरे गाँव का तब नज़ारा अलग था। बैरी से भी भाईचार

मेरे गाँव का तब नज़ारा अलग था।
बैरी  से  भी  भाईचारा  अलग था।
ये प्रारब्ध कर्मों के परिणाम हैं सब,
तुम्हारे से बचपन हमारा अलग था।
थी पढ़ने की चाहत पढ़ाने की निष्ठा,
गुरुजी अलग थे गुजारा अलग था।
दरिया-ए-इश्क़ से निकलते भी कैसे,
कश्ती तो छोड़ो किनारा अलग था।। #nojoto #love #ruralindia #puranapyar
मेरे गाँव का तब नज़ारा अलग था।
बैरी  से  भी  भाईचारा  अलग था।
ये प्रारब्ध कर्मों के परिणाम हैं सब,
तुम्हारे से बचपन हमारा अलग था।
थी पढ़ने की चाहत पढ़ाने की निष्ठा,
गुरुजी अलग थे गुजारा अलग था।
दरिया-ए-इश्क़ से निकलते भी कैसे,
कश्ती तो छोड़ो किनारा अलग था।। #nojoto #love #ruralindia #puranapyar